उत्तर मध्य रेलवे
प्रधान कार्यालय
जनसम्पर्क विभाग
इलाहाबाद।
संख्या: 11 पीआर/04/2017 प्रेस विज्ञप्तिदिनांक – 10.04.2017
संरक्षित एवं सुरक्षित रेल यातायात सुलभ कराने के लिए कृत संकल्प भारतीय रेल
·आधुनिकतम तकनीकों से एसेट रिलायलबिल्टी बढ़ाने एवं मानव पर निर्भरता कम करने के प्रयास
·राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष की स्थापना की घोषणा
·ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम (TPWS) एवं ट्रेन कोलीजन एवॉयडेन्स सिस्टम (TCAS) का प्रयोग
·2016-17 मे 1503 मानव रहित समपार समाप्त
भारतीय रेल अपने सम्मानित यात्रियों को संरक्षित एवं सुरक्षित रेल यातायात सुलभ कराने के लिए कृत संकल्प है। इसके लिए रेल प्रशासन निरन्तर प्रयासरत है तथा आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से एसेट रिलायलबिल्टी बढ़ाने एवं मानव पर निर्भरता को कम करने के प्रयास लगातार किये जा रहे हैं। वर्ष 2017-18 के बजट में रू0 1 लाख करोड़ की राशि से पांच वर्ष में राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष की स्थापना की घोषणा की गयी। इसके तहत वर्ष 2017-18 के दौरान रू0 20 हजार करोड़ की व्यवस्था की गयी है।
भारतीय रेल में आधुनिक तकनीक को अपनाने के क्रम में ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम (TPWS) एवं ट्रेन कोलीजन एवॉयडेन्स सिस्टम (TCAS)प्रारम्भिक रूप से लागू किया जा रहा है।ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम को भारतीय रेल के उपनगरीय एवं अतिघनत्व वाले रेल मार्गों पर लगभग 3330 रूट कि.मी. रेल मार्ग पर स्थापित किया जा रहा है एवं वर्तमान वर्ष 2017-18 के लिए स्वीकृत कार्यों में ट्रेन कोलीजन एवॉयडेन्स सिस्टम को 1427 रूट कि.मी. रेल मार्ग के लिए स्वीकृतकिया गया है। उत्तर मध्य रेलवे के दोनों ट्रंक रूटों पर गाजियाबाद से कानपुर,कानपुर से मुगलसराय, आगरा से ग्वालियर खण्डों पर ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम की स्थापना का कार्य लगभग 447करोड़ की लागत से प्रगति पर है। इसके पूर्व हजरत निजामुददीन से आगरा तक के रेल मार्ग पर इसको सफलतापूर्वक स्थापित कर लिया गया था।
इसके अतिरिक्त सवारी रेल डिब्बों को अधिक संरक्षित बनाने के क्रम में सभी परम्परागत आईसीएफ डिब्बों को एलएचबी डिब्बों से परिवर्तित किया जा रहा है। इसके तहत ही वर्ष 2016-17 के दौरान इलाहाबाद-नई दिल्ली प्रयागराज एक्स.. सहित संपूर्ण भारतीय रेल में कुल 34 जोड़ी गाडि़यों में आधुनिक सुविधाओं वाले एल.एच.बी. रेकों को लगाया गया है।इसके लिये कुल 42 एल.एच.बी. रेकों का प्रयोग किया जा रहा है। इसी क्रम में रेल पटरियों को संरक्षित बनाने के उददेश्य से विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं इसमें प्रीस्ट्रेस्ड कंकरीट स्लीपरों का प्रयोग, 260/130 लंबाई के लंबे रेल पैनल, ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग प्रारंभ किया गया है | इसके अतिरिक्त अल्ट्रासोनिक ब्रोकेन रेल डिटेक्शन प्रणाली का ट्रायल उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल के बमरौली-भरवारी सेक्शन मे प्रारंभ कर दिया गया है |
रेल समपारों पर होने वाली दुर्घटनाएं रेलवे के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इस उददेश्य से सभी रेलमार्गों से मानव रहित समपारों को समाप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान अब तक के सर्वाधिक मानव रहित समपारों को समाप्त करते हुए कुल 1503 ऐसे समपारों को समाप्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त 1306 सड़क ऊपरी पुलों एवं सबवे का निर्माण कार्य पूरा किया गया है। यह भी अब तक की सर्वोच्च उपलब्धि है। इसके साथ ही 484 मानवयुक्त समपार भी हटाये गये हैं।
वर्ष 2016-17 में 750 पुराने पुलों को रीहैबीलेटेट कर अब तक की सर्वाधिक संख्या में पुलों का अनुरक्षण किया गया है। इसके अतिरिक्त स्टेशनों पर पैदल ऊपरीपुलों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है ताकि यात्रियों को स्टेशनों पर आवागमन के दौरान सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।
रेल प्रशासन द्वारा विभिन्न माध्यमों से रेल यात्रियों एवं आमजन को संरक्षा के प्रति जागरूक भी किया जाता है। साथ साथ रेल कर्मियों के मध्य जागरूकता अभियान चलाकर उनके ज्ञान एवं सतर्कता की जांच करना और यथोचित प्रशिक्षण देना भी सुनिश्चित किया जाता है। रेल प्रशासन अपने सम्मानित यात्रियों से अनुरोध करता है कि रेल समपारों को पार करते समय सावधानी रखें एवं उचित नियमों का पालन करें। रेल यात्रा में ज्वलनशील पदार्थ लेकर यात्रा न करें एवं न ही रेलगाड़ी की छत एवं फुटबोर्ड पर यात्रा न करें।